न चाहकर भी मेरे लब पर ये फ़रियाद आ जाती है
ऐ चाँद सामने न आ किसी की याद आ जाती है
न चाहकर भी मेरे लब पर ये फ़रियाद आ जाती है
ऐ चाँद सामने न आ किसी की याद आ जाती है
“वो मिली भी तो खुदा के दरबार में यारो, अब तुम ही बताओ हम मोहब्बत करते या इबादत…”
“इन बादलो का मिजाज, मेरे महबूब सा है, कभी टूट कर बरसते है, कभी बेरुखी से गुजर जाते हैं…!”
“मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती, अपना वजूद भूलाना पडता है, किसी को अपना बनाने के लिए…”
“उन्हें देखता है कोई, तो हम थोडा – थोडा जलते है, या यूँ कहिये घमंड है हमे, कि सब मेरी पसंद पर ही मरते है…”
“कहते हेै इश्क एक गुनाह है. जिसकी शुरुआत दो बेगुनाह करते है!”
“कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी, हजारो अपने है मगर याद तुम ही आते हो…”
“ज़िंदगी मे किसी का साथ काफ़ी है. हाथो मे किसी का हाथ काफ़ी है. दूर हो या पास फ़र्क नही पड़ता, प्यार का तो बस एहसास ही काफ़ी है.”
“माना की प्यार करना हमारे बस की बात नह, अगर पगली प्यार हो गया तो उसे रोकना तुम्हारे बसकी बात नही…”
“तेरा पता नहीं पर मेरा दिल कभी तैयार नहीं होगा, मुझे तेरे अलावा कभी किसी और से प्यार नहीं होगा…”
“बहुत ज़ालिम हो तुम भी, मोहब्बत ऐसे करते हो. जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो…”
“मुस्कुराने के अब बहाने नहीं ढूँढने पड़ते, तेरा नाम लेता हूँ ये तमन्ना भी पूरी हो जाती हैं.”
“लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते, हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये सिर्फ उतना सा प्यार हम नहीं करते…”
“सूना है की आज वो छत पर सोने जा रही है. खुदा खैर करे उन सितारो की, कही उसे चाँद समझ कर जमीं पर ना उतर आये.”
“इतनी दिलक़श आँखें होने का, ये मतलब तो नही कि, जिसे देखो उसे बरबाद कर दो.”